Saturday 26 November 2016

ॐ उच्चारण का महत्व, विधि और लाभ

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ॐ का प्राकट्य बह्मा जी के ह्रदय से हुआ I  ॐ केवल एक शब्द नहीं है। यह तीन शब्दों से बना है। अ+उ+म्। इन तीन शब्दों का अर्थ भी अलग-अलग है। अ का मतलब है उत्पन्न होना। उ से तात्पर्य विकास और म् का अर्थ उड़ना या उठना है। ॐ शब्द ब्रहमाण्ड की उत्पत्ति का एक कारक है। इस शब्द में कई बीमारियों को ठीक करने की अदभुद शक्ति है। यह कई रोगों को जड़ से खत्म कर देता है। 



उच्चारण की विधि : प्रातः उठकर पवित्र होकर ओंकार ध्वनि का उच्चारण करें। ॐ का उच्चारण पद्मासन, अर्धपद्मासन, सुखासन, वज्रासन में बैठकर कर सकते हैं। इसका उच्चारण 10 बार अपने समयानुसार कर सकते हैं। ॐ जोर से बोल सकते हैं, धीरे-धीरे बोल सकते हैं। ॐ जप माला से भी कर सकते हैं। 




ॐ के उच्चारण से शारीरिक लाभ - 
1. अनेक बार ॐ का उच्चारण करने से पूरा शरीर तनाव-रहित हो जाता है। 
2. अगर आपको घबराहट या अधीरता होती है तो ॐ के उच्चारण से उत्तम कुछ भी नहीं। 
3. यह शरीर के विषैले तत्त्वों को दूर करता है, अर्थात तनाव के कारण पैदा होने वाले द्रव्यों पर नियंत्रण करता है। 
4. यह हृदय और ख़ून के प्रवाह को संतुलित रखता है। 
5. इससे पाचन शक्ति तेज़ होती है। 
6. इससे शरीर में फिर से युवावस्था वाली स्फूर्ति का संचार होता है। 
7. थकान से बचाने के लिए इससे उत्तम उपाय कुछ और नहीं। 
8. नींद न आने की समस्या इससे कुछ ही समय में दूर हो जाती है। रात को सोते समय नींद आने तक मन में इसको करने से निश्चित नींद आएगी। 
9. कुछ विशेष प्राणायाम के साथ इसे करने से फेफड़ों में मज़बूती आती है। 
10. ॐ के पहले शब्‍द का उच्‍चारण करने से कंपन पैदा होती है। इन कंपन से रीढ़ की हड्डी प्रभावित होती है और इसकी क्षमता बढ़ जाती है। 
11. ॐ के दूसरे शब्‍द का उच्‍चारण करने से गले में कंपन पैदा होती है जो कि थायरायड ग्रंथी पर प्रभाव डालता है।