Thursday 19 February 2015

कथा सार: भीष्म पितामह की शेष शैया!

Follow on Twitter @guru88in
शेष शैया पे विराजमाम भीष्म पितामह ने जब देखा की पांडवो के साथ भगवन श्री कृष्ण भी आखरी समय पर उनसे मिलने आये हे तो पितामह ने भगवन की वंदना की और बोले प्रभु आपको यहाँ आकर मूझ पर बहुत कृपा की।
प्रभु मुझे याद हे की आपने केवल मेरे संकल्प का मान रखने के लिये अपना संकल्प तोड़ते हुए युद्ध में हतियार उठाये थे। जिसके पसीने की एक बूँद गिरने से पूरी त्रिलोकी हिल जाती हे उनके पूरे शारीर को मैने अपने शस्त्रों से लहुलोहान कर दिया था और आप मुझ पर हमला करने के लिए मेरे पिछे दौड़े थे।
प्रभु आप से तो भय भी थर थर काँपता हे फिर भी जब आप माखन की मटकी तोड़ दिया करते थे और यशोदा माता की मार की डर से छुप जाते थे और कई बार तो मार पड़ने पर आपके आसु की नन्ही बूंदे जब धरती पर गिरती थी तो धरती माता भी आपने पर गर्व् करती थी। कितने मनोहर पल थे वे जिनमे आप जिसके भय से भय भी थर थर कापता हे यशोदा माता की मार के डर से यहाँ वहाँ छुप जाते थे।
प्रभु आप मुझ पर कृपा करे।